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दो क्षणिकाएं (कविता)

मुझे भी कुछ कहना है
मुझे भी कुछ कहना है
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तेरे बिन
मै यहाँ हूँ, दिल वहाँ है
बिखरा बिखरा सा अपना जहां है
सपनों की इस दौड़ में खोये
अपने गुम जाने कहाँ हैं



तेरी याद
तेरी यादों के गुलदस्ते से
नन्ही कली जो
फूल बन मुस्काई
महका मेरा रोम रोम
हर अंग से
तेरी खुश्बू आई


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