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बहुत दिनों से चाह रही थी कि आप लोगों को एक ऐसी रचना से रूबरू करवाऊं जो कि मेरे दिल के काफी करीब हैं और जिसे पढ़कर मुझे बहुत ही प्रेरणा मिलती है…… जब भी कोई काम मुझे बहुत मुश्किल लगता है या जिसे करने से पहले ही मन में एक डर सा रहता कि पता नहीं मै सफल हो पाऊँगी या नहीं….. मैं इस रचना की गोद में आ जाती हूँ….. इस रचना को पढ़कर मुझे इतना हौसला मिलता है कि मेरा सारा डर कहाँ जा कर छुप जाता है, पता ही नहीं चलता……
चूँकि ये रचना मेरे द्वारा रचित नहीं हैं, तो इसका क्रेडिट लेने का हक भी मेरा नहीं बनता है……एक अच्छे ब्लोगर होने के नाते मैं चाहूंगी कि सबसे पहले मैं आपको उस रचनाकार से मिलवाऊं …. ये रचना है हिंदी कविता के महान छायावादी कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी की…..
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, जयशंकर प्रसाद और महादेवी वर्मा के साथ हिन्दी साहित्य में छायावाद के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं…… उन्होंने कहानियाँ उपन्यास और निबंध भी लिखे हैं किन्तु उनकी ख्याति विशेषरुप से कविता के कारण ही है……..अपने समकालीन अन्य कवियों से अलग उन्होंने कविता में कल्पना का सहारा बहुत कम लिया है और यथार्थ को प्रमुखता से चित्रित किया है……….. वे हिन्दी में मुक्तछंद के प्रवर्तक भी माने जाते हैं…….. परिमल, गीतिका, द्वितीय अनामिका, तुलसीदास, कुकुरमुत्ता, अणिमा, बेला, नये पत्ते, अर्चना, आराधना, गीत कुंज और सांध्य काकली निराला जी के प्रमुख काव्यसंग्रह हैं……
मेरी पसंदीदा रचनाओं में से एक “कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती” निराला जी की एक बहुत ही सुन्दर और प्रेरणादायक रचना है……. शायद आप में से कई लोगों ने इसे पहले भी पढ़ा हो….और जिन्होंने नहीं पढ़ा है मैं चाहूंगी कि जरुर पढ़े…..जब भी भविष्य को लेकर मन में उहापोह की स्थिति होती है और मन बहुत विचलित होता है, ये कविता ही है जो मुझे हौसला देती है……और कार्य करने के लिए प्रेरित करती है…. आप भी पढ़िए और बताइयेगा जरुर की आपको ये रचना आपको कैसी लगी…..
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है ।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है ।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है ।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में ।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो ।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम ।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।
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