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मेरा पहला रक्तदान (लेख/ संस्मरण)

मुझे भी कुछ कहना है
मुझे भी कुछ कहना है
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thandदिसंबर २००८ की बात है……उत्तर भारत की ठण्ड को तो आप सभी जानते ही है, और वो भी दिसंबर की ठण्ड……१० दिन बाद ही हमारे एंड टर्म (सेमेस्टर परीक्षा) शुरू होने वाले थे, तो रूम हीटर जलाकर, नरम-नरम रजाइयों में घुसकर कर हम पढने में मशगुल थे…….तभी फ़ोन की घंटी घनघना उठी…..रजाई से बाहर निकलने का मन नहीं कर रहा था, पर घर में हम अकेले ही थे, तो फ़ोन हमें ही उठाना था….. सर्दी इतनी ज्यादा थी कि रजाई से निकलने का दिल नहीं हुआ….. सोचा अगर जरुरी फोन होगा तो दुबारा आएगा, तब उठा लेंगे….

हाँ वो जरुरी ही फ़ोन था….दुबारा घंटी घनघना उठी….मन मार के हम रजाई से बाहर आये….. उधर से आवाज़ आई कि मैं वर्मा अंकल बोल रहा हूँ……हमने उन्हें अभिवादन किया तो जवाब में वो बस इतना ही कह पाए “बेटा अभी-अभी पता चला है कि आपका रक्त समूह AB + है, और तुम्हारी आंटी का अभी-अभी ऑपेरेशन हुआ है…….रक्तश्राव काफी ज्यादा हो गया है…..उन्हें रक्त की सख्त जरुरत है…….क्या आप हमारी मदद करोगी”……इतना सुनते ही हमारे तो होश उड़ गए और बिना कुछ सोचे समझे हमारे मुँह से हाँ निकल गया…..हमारी बात सुनकर उन्हें थोड़ी तसल्ली हुई और हमें अस्पताल का पता बता कर, जल्दी आने को कहकर उन्होंने फ़ोन रख दिया…..

raktरिसीवर रखते ही हमारा दिमाग उलझ गया, समझ में नहीं आ रहा था क्या करें……मन तो कह रहा था कि रक्तदान कर आओ, पर दिमाग कुछ और कह रहा था…..फिर लगा कि पहले पापा से बात करते हैं….पापा को फ़ोन लगाया तो पता चला उनकी कोई जरुरी मीटिंग चल रही है, जो और २ घंटे तक चलेगी…….अब तो निर्णय हमें ही लेना था ……आखिर कुछ देर सोच-विचार कर हमने रक्तदान का निर्णय ले ही लिया …….ढेर सारे उनी कपडे पहनकर हम जाने के लिए तैयार हो गए…..पर साथ ही एक और मुसीबत भी थी, हमने अभी अभी स्कूटर चलाना सीखा था और कभी बाज़ार में ले कर नहीं गए थे……अब कैसे जाएँ…..पर हमारे पास और कोई रास्ता भी तो नहीं था……..बड़ी हिम्मत करके हमने अपना प्लेज़र निकाला और निकल पड़े अस्पताल की ओर……पता नहीं उस दिन कहाँ से इतनी हिम्मत आ गई, पहली बार हमने बिना डरे गाड़ी चलाई……

आज भी याद है हमें वो मंगलवार का दिन था……..मंगलवार को हमारा व्रत रहता है और उस दिन भी था……सुबह से हमने कुछ खाया नहीं था…..पर पता नहीं शरीर में बहुत सारी ताकत महसूस हो रही थी…. अस्पताल पहुँचे तो देखा वर्मा अंकल बहुत परेशान थे….बात करने पर पता चला आंटी का बहुत सा खून बह गया था और उन्हे बचाने बहुत सारे यूनिट खून की जरुरत थी…….अंकल ने और भी लोगों को फ़ोन किया था….२-३ लोग आये भी हैं….अंकल ने मुझे धन्यवाद् देकर बताया कि मुझे रक्तदान करने कहा जाना है….

अंकल के बताये कमरे में पहुंचे तो देखा वहां २ लड़के और १ लड़की और बैठे थे…….पूछने पर पता चला कि वो भी वहां रक्तदान करने आये हैं……सुनकर अच्छा लगा कि हम अकेले नहीं है…..तभी डॉक्टर कमरे में आये और हम सभी पर एक सरसरी निगाह डाली…..हम दोनों लड़कियों को देखकर आखिर उनसे रहा नहीं गया और पूछ ही बैठे कि क्या हम दोनों भी रक्तदान करने वाले हैं……उनका जवाब सुनते ही हम दोनों ने पुरे आत्मविश्वास के साथ हामी भरी…..

blooddonation.2gifरक्तदान से पहले हमारे रक्त समूह की जाँच की गई और वजन नापा गया…..और हमसे एक फॉर्म भी भरवाया गया…….इन सब औपचारिकता के बाद आई रक्तदान की बारी…..सबसे पहले हम दोनों लड़कियां ही अन्दर गई……हम दोनों को लेटने कहा गया……और हमारी हथेलियों में टेनिस बॉल पकड़ा कर हमारे हाथ में सुई घुसा दी गई…….यहीं था इस कहानी का सबसे दर्दनाक पल……..हमें बचपन से ही सुई से बहुत डर लगता था और ८-९ साल की उम्र के बाद उस दिन तक हमने इसी डर के कारण सुई नहीं लगवाई थी…..पर उस दिन हमने अपना मन कड़ा कर लिया और हमेशा के लिए उस डर से निजात पा ही गए…..

करीब १५-२० मिनट तक हम वैसे ही लेटे थे और बोतल में जाते अपने लाल खून देखकर बहुत ही संतुष्टि मिल रही थी कि चलो हमारा खून भी किसी के काम तो आया…..उस दिन हमारा एक बोतल खून निकाला गया…….उसके बाद हमें खाने के लिए फल और पीने के लिए जूस भी मिला……थोड़ी देर वहां बैठने के बाद हम अंकल से मिले और उनसे मिलकर कहा कि अगर फिर से जरुरत हो तो हमें अवश्य बतायें……. फिर अपनी प्लेज़र चलाकर वापस घर आ गए…….

घर में पापा हमारा ही इंतजार कर रहे थे……वर्मा अंकल ने फ़ोन पर ही उन्हें बताकर धन्यवाद् दे दिया था….पापा ने हमें देखते ही गले से लगा लिया और पापा के कहे वो शब्द आज भी मुझे प्रेरणा देते हैं……”अदिति, मुझे तुम पर गर्व है”…….

blooddonation.1gifतो ये था हमारा पहला रक्तदान…….उसके बाद हमने एक बार और रक्तदान किया है…..बाद में और भी कई बार इच्छा हुई रक्तदान की, पर मौका ही नहीं मिला… आप लोगों में से कई लोगों ने भी किया होगा रक्तदान, वो इसकी ख़ुशी जरुर महसूस करते होंगे…..और जिन्होंने अभी तक नहीं किया है, उनसे मै यहीं कहना चाहूंगी कि एक बार रक्तदान करके जरुर देखिये….सही में रक्तदान महादान होता है…..रक्तदान से बहुत ख़ुशी मिलती है…..कोई शारीरिक कमजोरी नहीं आती है और ना ही ये असुरक्षित है अगर हम इस बात का ध्यान रखें कि सुई और बोतल हर बार नई उपयोग में लाई जाये……तो आप करेंगे ना रक्तदान………

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