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नेताजी का पर्यावरण दिवस (हास्य-व्यंग्य)

मुझे भी कुछ कहना है
मुझे भी कुछ कहना है
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netaआज पर्यावरण दिवस है…………ये पर्यावरण दिवस क्या होता है?…………अरे कुछ नहीं, बस साल में एक दिन लोग ये दिखावा करते हैं कि हम भी पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जागरूक हैं………..तो आज हमारे गली के छुट-भैया नेताजी को वृक्षारोपण करने जाना हैं………या यूँ कहूँ कि वृक्षारोपण करते हुए फोटो खिंचवाने जाना है तो ज्यादा ठीक रहेगा……..

neta 2सुबह-सुबह उठ गए नेताजी और रोज की तरह अपने म्यूजिक सिस्टम में लगा दिया फुल साउंड में भक्ति गीत………अब लोगों को भी तो पता चलना चाहिए कि नेता जी ने नया महंगा म्यूजिक सिस्टम ख़रीदा है……….लोग परेशान हो उनकी बला से………बेसिन का नल खोला और ब्रश करने लगे…….यूँ ही भक्ति रस में डूबकर ब्रश करते रहे और साथ में नल से बहता पानी बैकग्राउंड म्यूजिक देता रहा……….१ घंटे तक शावर के नीचे नहाकर जब आत्मा तृप्त हुई तो पहुँच गए ड्रेसिंग रूम में…….सारी लाइटें जला ली…..अरे भाई आज फंक्शन में जो जाना है, अच्छे से तैयार होना पड़ेगा ना………..१/२ घंटे में क्रीम-पाउडर पोतकर तैयार हुए और निकल पड़े घर से वृक्षारोपण के लिए………..और पीछे छोड़ आये सारी लाइटें जलती, घर कि सुरक्षा करने……….

neta 1गाड़ी अभी निकाल ही रहें थे कि एक चमचे ने कहा “भैयाजी मेरी गाड़ी बाहर है हम साथ ही चलते है”……पर नेताजी को वहां अपना रौब भी तो दिखाना था……..कहा “नहीं, हम सब अलग-अलग अपनी गाड़ियों से चलेंगे”………..रास्ते में कालू हलवाई की दुकान देखकर उन्हें नाश्ते की याद आ गई…….और गाड़ी चालू रखकर ही उतर पड़े जलेबी-समोसे खाने……अभी ऑर्डर दे ही रहे थे कि पीछे से चमचे ने आवाज लगे “भैयाजी, वृक्षारोपण के लिए देर हो रही है”……….समय कि नजाकत देखकर उन्होंने नाश्ता पैक करवाना उचित समझा……हलवाई को कागज में समोसे बांधते देख लगे नेताजी चिल्लाने “हम क्या तुम्हें सडक छाप दिखते हैं जो कागज कि पूड़ियों में ले जायेंगे………..पॉलीथीन की थैलियों में दो”………हलवाई बड़ी मुश्किल से कहीं से कर एक पॉलीथीन की थैली ढूंढ़ लाया और नेताजी को रफा-दफा किया……

नाश्ता लेकर पहले से चालू गाड़ी में बैठ गए नेताजी और निकल पड़ा उनका काफिला……रास्ते में नाश्ता खाया और डकार लेते हुए फ़ेंक दी कागज, पॉलीथीन की थैली और खाली बोतल सड़क पर……भाई, अगर हम शहर गन्दा नहीं करेंगे तो नगर पालिका तो बेकार हो जाएगी ना………

neta5जैसे-तैसे पहुंचा उनका काफिला……….देखा वहां ८-१० लोग कुछ मरियल से पौधों के साथ खड़े थे………अब इतनी भरी गर्मी में आप और क्या उम्मीद कर सकते हैं………२-३ कैमरा लिए पत्रकार देखकर उनकी आँखों में चमक आ गई………पान की गिलौरी मुंह में डालकर उतरे नेताजी वृक्षारोपण करने…….पहले मंच पर भाषण देना था………भाषण बड़ा ही सधा हुआ था……….. “हमें पानी-बिजली-ईंधन व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए…….हमें अपना शहर साफ़ रखना चाहिए……..वायु-जल-ध्वनि प्रदुषण रोकना चाहिए………पॉलीथीन की थैली उपयोग में नहीं लानी चाहिए”……….बीच-बीच में पान की पीक मार-मार कर नेता जी ने पीछे का सफ़ेद पर्दा पूरा लाल कर दिया……….कुल मिलाकर भाषण प्रभावशील रहा, रात में दसों बार रट्टा जो मारकर आये थे……….

pedaअब आई वृक्षारोपण की बारी………..सबसे पहले नेता जी ने पौधे को हाथ में लेकर गड्डे में रखा और कुछ मिटटी डालते हुए ८-१० फोटो खिंचवा ली……पीछे-पीछे सारे चमचों ने भी उसी पौधे को हाथ लगाकर फोटो खिंचवा ली…..पत्रकारों के जाते ही ही छोड़ दिया उस मरियल पौधे को अपने हाल पर और निकल पड़ा काफिला अगली जगह वृक्षारोपण करने………

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