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इन्सां को बस इन्सां मानो (कविता)

मुझे भी कुछ कहना है
मुझे भी कुछ कहना है
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किस जाति का है वो सूरज
जो रोज सबेरा करता है
किस जाति की है वो चंदा
हर रात उजाला करती हैं

nature

क्या है बोलो उस हवा की जाति
जीव प्राण की रक्षा करती हैं
किस जाति की हैं वो नदियाँ
हरियाली के लिए नित बहती हैं

किस जाति के हैं सुमन वो
खिल बगिया मन हर लेते हैं
क्या है बोलो उस वृक्ष की जाति
फल चाहे बिना फल देते हैं

क्या जाति से है तुम बोलो
इन सबकी अपनी पहचान
जाति नहीं, समर्पण है जो
बनाता है इन सब को महान

जाति से हैं बड़ी योग्यता
उस क्षमता को तुम पहचानो
ना बांटों ब्रह्माण, वैश्य, दलित में
इन्सां को बस इन्सां मानो

equility

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