Menu
blogid : 1876 postid : 50

चलो आखिर रुचिका को इन्साफ तो मिला (लेख)

मुझे भी कुछ कहना है
मुझे भी कुछ कहना है
  • 46 Posts
  • 1272 Comments

रुचिका छेड़छाड़ मामले में अदालत ने हरियाणा के पूर्व डीजीपी एस पी एस राठौड़ की सजा छह महीने से बढ़ाकर डेढ़ वर्ष की। ये एक बहुत अच्छी खबर है. २० साल बाद ही सही पर रुचिका को इन्साफ तो मिला.

क्या है रुचिका छेड़छाड़ केस
१४ साल की रुचिका के साथ १९९० में उस समय हरियाणा पुलिस के एक आला अधिकारी राठौर ने छेड़-छाड़ की और जब उसने इसकी शिकायत की तो उसके भाई को कई झूठे केस में फंसा दिया गया और परिवार के अन्य सदस्यों और दोस्तों को भी परेशान किया गया. आखिर अपने आप को इन्साफ मिलता न देखकर रुचिका ने घटना के ३ साल बाद आत्महत्या कर ली. करीब १९ साल तक केस चलता रहा और सीबीआई अदालत ने 21 दिसंबर २००९ को राठौड़ को छह महीने कैद की सजा सुनाई थी. जिसे सत्र अदालत ने आज छह महीने से बढ़ाकर डेढ़ वर्ष कर दी. इस केस में रुचिका की सहेली आराधना प्रकाश का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा, जिसने हार नहीं मानी और अपनी सहेली को इन्साफ दिलाया.


अदालत के आज के पैसले से जनता का विश्वास न्यायपालिका पर फिर से जरुर कायम हुआ होगा और एक बार फिर बड़े अफसर डरने शुरु हो गए होंगे कि उनकी मनमानी अब नहीं चलेगी और वे अपने पद का दुरूपयोग नहीं कर पाएंगे. उनके ऊपर भी कानून है. पर फिर भी एक सवाल हर भारतीय को जरुर परेशान कर रहा होगा कि हमारी न्यायपालिका इतनी लचर क्यों हैं और हमारा कानून इतना सुस्त क्यों हैं. एक १४ साल की लड़की, जो अब इस दुनिया में नहीं है, को अपनी उम्र से भी ज्यादा समय लग गया अपने खिलाफ हुए अन्याय का इन्साफ पाने में.

अब तो हमारी न्यायपालिका से यहीं उम्मीद है कि रुचिका जैसे गंभीर मामलों में जल्द से जल्द न्याय हो और दोषी को ऐसी सजा मिले कि आने वाली पीढ़ियां अपराध करने से पहले लाख बार सोचें.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh