मुझे भी कुछ कहना है
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भारत के
किसान के आंसू
जो सींचते थे
कभी फसलों को
अब बहते हैं
उसकी आँखों से
खून की बूंदें बनकर
फिर छीन लेते हैं
उससे
उसी की ही ज़िन्दगी
और बना देते हैं
उपजाऊ जमीन को
बंजर
सदा के लिए
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